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"इश्क़ एक सिख shayri"

ishq ek sikh shayri





हर दिल छ्लनी है
हर दिल में आस कोई,
इश्क करो दर्द सहो
इश्क से बड़ी सिख ना कोई...

हर इंसान नशे में चूर है
कोई नशा प्यार का
नशा नफ़रत का कोई,
इश्क करो दर्द सहो
इश्क से बड़ी सिख ना कोई...



हर लमहे में कशिश है
हर लमहे में चाहत कोई,
इश्क करो दर्द सहो
इश्क से बड़ी सिख ना कोई...

हर मुहब्बत एक कशा है
कोई आशिक कशा खा रहा 
कश मार रहा आशिक कोई,
इश्क करो दर्द सहो
इश्क से बड़ी सिख ना कोई...


कशा-चाबुक
कश-तंबाकू;सिगरेट आदि के धुएँ का घूँट



Writer-Vedant Patil (trueved)




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