"sakhi shayri "
आँसुओ से भरी तुम्हें ज़िंदगी मिली
दुःख-पीड़ा से दूर जीना तू मेरी सखी
है मौन मेरा विष और घातक भी
जब बनता है बंधन प्रेम ही...
जीवन का मंत्र कहते हैं जिसे
मेरे जीवन मे विराजमान हो ऐसे,
तुम एक अनकहा अमोख सपना हो
मन,शरीर,आत्मा में स्थिर हो जैसे
आशा है तुम समझ पाओगी,
है मौन मेरा विष और घातक भी
जब बनता है बंधन प्रेम ही...
जहाँ जहाँ ना प्रेम मिले
वो रिश्ता बंजर हो जाये
आखरी है ये सच
सच तो है यही,
है मौन मेरा विष और घातक भी
जब बनता है बंधन प्रेम ही...
मन-मन की है लड़ाई
प्रेम एक जटिल कठिनाई,
मैं भटका-हारा
कच्चे कर्मो का मारा,
हो गया तृप्त ,जब देखी मैंने
हृदय से तुम्हारेे प्रेम-अम्रित की धारा,
आँसुओ से भरी तुम्हें ज़िंदगी मिली
दुःख-पीड़ा से दूर जीना तू मेरी सखी
है मौन मेरा विष और घातक भी
जब बनता है बंधन प्रेम ही ....
Writer-Vedant Patil(trueved)
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