ख़ुद से प्यार क्यों जरूरी है?
आज हम बात करने वाले है खुद से प्यार क्यों जरूरी है इस बारे में, उससे पहले प्रेम क्या हैं ये जानना भी जरूरी है,आपके मन मे भी ये सवाल आते होंगे।
प्रेम क्या है ?
(what is love)
तो इस बारे में मैंने कुछ दिनों पहिले अपनी पोस्ट में विस्तार से बताया था
अगर आपको वो आर्टिकल पढना है तो निचे दिए गए लिंक पे क्लिक करे
अब बात करते हैं आखिर खुद से प्यार करना भला इतना जरूरी क्यों है। तो चलिये शुरू करते हैं।
(what is love)
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khud se pyar kyon jaruri hai?
,अब में आपको खुद से प्यार क्यों जरूरी है,(love yourself) ,इस विषय में कुछ share करना चाहता हु।
कभी प्यार को अँधा कहा गया और कभी प्यार मोह की संज्ञा दे दी गई पर प्यार को शायद किसी ने पहचानने की कोशिश नहीं की, कुछ points में आपको बताना चाहता हु जो मैंने कुछ सोच विचार कर और थोड़ी books से प्रेरणा लेते हुए
अपने कुछ thoughts जरिये share करने जा रहा हु।
एक सवाल से शुरू करते है?
आप किससे प्यार करते है?
क्या उत्तर मन में आया?
मैंने यही प्रश्न अपने कुछ दोस्तों से पुछा , मुझे comman answers मिले कुछ लड़को ने कुछ लड़कियों के नाम लिए and vice versa ,और यह काफी स्वाभाविक है,प्यार होगा तो किसीना किसीसे होगा ही।
पर मनुष्य को पहले स्वयं से प्यार करना सीखना चाहिए ,लेकिन क्यों आईये जानते है।
ख़ुद से प्यार? (love youself)
आप ख़ुद कभी भी आराम से बैठ कर सोचिये जरूर कि आखिर आप
किस से सबसे अधिक प्यार करते हैं? ये बात अगर आप किसी से पूछें तो आम तौर पर जवाब आयेगा my parents, my children, my spouse etc
अगर आप गहराई से सोचें तो इस प्रश्न का आप को एक ऐसा उत्तर मिलेगा जिसे आप मुश्किल से ही accept कर पाएंगे. और वो जवाब है ‘अपने आप से’.
जी हाँ! इस दुनिया में सबसे अधिक प्रेम आप स्वयं से ही करते हैं।
कुछ लोगस्वयं से प्रेम करने को अनुचित समझते हैं क्यों कि लोगों के मन में अक्सर ये धारणा रहती है कि जो व्यक्ति ख़ुद से प्रेम करता है वो व्यक्ति selfish होता है और इसी वजह से दूसरों से प्रेम कर ही नहीं सकता,पर क्या ये सही है?
तो इसका उत्तर है अपने आप से प्रेम करना कभी ग़लत हो ही नहीं सकता क्यों कि जो व्यक्ति अपने आप से प्रेम नहीं करता वो किसी और से सच्चा प्रेम कर ही नहीं सकता. जो अपने आप से संतुष्ट नहीं वो किसी और को संतुष्ट कैसे रख सकता है।
किस से सबसे अधिक प्यार करते हैं? ये बात अगर आप किसी से पूछें तो आम तौर पर जवाब आयेगा my parents, my children, my spouse etc
खुद से प्रेम करने का अर्थ ‘मैं ’ से नहीं है बल्कि इसका अर्थ है अपनी अच्छाइयों को पहचान कर उसे बहार निकलना और सही अर्थमें अपने आप को grow करना.
मैंने भी Trueved इस ब्लॉग के जरिये खुद को पेहचाने की कोशिश शुरू की है।
ख़ुदसे प्रेम करना और ख़ुद का सम्मान और आदर करना ये सब एक sucessfull व्यक्तियों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण गुण होता है.
अपने आप से प्रेम करने का अर्थ क्या है?
1)ख़ुद को निखारना
2) अपने अन्दर की अच्छाइयों को खोजना
3)अपने लिए सम्मान प्राप्त करना
4)अपने आप को प्रेरित करते रहना और अपने साथ हुई हर अच्छी बुरी घटना की जिम्मेदारी खुद पे लेना.आपको ये बात हमेशा याद रखनी हैं कि आप किसी और को प्रेम और सम्मान तभी दे पाएंगे जब आप के पास वो वस्तु अधिक या यू कहे सही मात्रा में होगी.
5)स्वयं से प्रेम करना उतना ही स्वाभाविक है जिंतना कि सांस लेना. GITA में कहा भी गया है कि हमें दूसरों से भी उतना ही प्रेम करना चाहिए जितना हम स्वयं से करते हैं. परन्तु कभी – कभी हम अपने आप से प्रेम करना भूल जाते हैं.
भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा था,
"प्रसन्न रहना ही सफल जीवन का राज है"।
पर सफलता का एक ऐसा कारन भी है जिसे हम अक्सर नज़रंदाज़ कर देते हैं और वो है स्वयं से प्रेम करना.
i.e to love yourself.
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